Saturday 27 February 2016

Homi Jahagir Bhabha life




होमी जहागीर भाभा को कौन नहीं जानता है। हम यहाँ उनकी full life storय जानेंगे। होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टुबर 1909 में हुआ था।आप मुम्बई के एक पारसी परिवार के रहने वाले थे। आपके पिता जहांगीर भाभा एक प्रसिद्ध वकील थे।तथा आपकी माता उच्च परिवार से थी।आपके परिवार में सभी ने आपको काफी आगे तक पढाया। आपको बचपन से ही पुस्तके पढने में विशेष रूचि थी। आप अपनी क्लास में अव्वल दर्जे के student थे। आपने बचपन से ही ज्ञानवर्द्धन पुस्‍तकों का अध्‍ययन किया। आपने मात्र15 वर्ष की उम्र में  आइन्स्टीन के सापेक्षता का तर्क समझ लिया और उसका अध्ययन किया। आपकी शुरुआती शिक्षा कैथरेडल स्कूल में सम्‍पन्‍न हुई। जब आप ऊँची क्लास मई गए तब आपको कैथरेदल स्कूल छोङना पढास।उसके बाद आपको जॉन केनन स्‍कूल में admission कराया। आपने एलफिस्टन कॉलेज से 12वीं पास की। फिर आप कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गये।आपको सरकार  की तरफ से लगातार छात्रवृत्ति मिलती रही। आपने सन1930 में मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री हासिल की।सन 1934 में आपकी पीएचडी पूर्ण हो गई। होमी जहागीर भाभा वापस भारत आ गए। आपने अपने देश के लिए कार्य करने का निश्चय किया।होमी भाभा ने अंतरिक्ष में पृथ्‍वी के वायुमण्‍डल में प्रवेश करने वाली कॉस्मिक किरणों पर कार्य किया।आपने 'कॉस्केटथ्योरी ऑफ इलेक्ट्रान'सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इसी समय आपने डेराक रदरफोर्ड एवं नील्सबेग के साथ काम किया। आपको सन 1940 में indiyan science society बंगलुरू में रीडर के पद पर रखा। वहां पर आपने कॉस्मिक किरणों की खोज के लिए एक विभाग बनाया जिसमे केवल कॉस्मिक किरणों पर खोज करते थे। आपको सन 1941 में रॉयल सोसाइटी का सदस्य चुन लिया गया। उस समय आपकी आयु मात्र 31 वर्ष थी।इतनि कम उम्र में रॉयल सोसाइटी का सदस्य बनना आसन नही था। होमी जहागीर भाभा की प्रेरणा से टाटा ने देश में वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने के लिए 'टाटा इन्सट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च' की स्‍थापना की गई। जिसके आपकओ महानिदेशक चुन गया। होमी जहागीर भाभा ने उसी समय आपने atomic energy के बारे में अध्ययन किया।आपने इस दिशा में खोज प्रारम्‍भ करी।जिसमे काफी मेहनत लगी परन्तु आपने हर नहीं मानी ।भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आपको जी जान से मेहनत करना पङी।सन 1955 में होमी भाभा को जिनेवा में होने वाले program में बुलाया। वहां पर उनकी खोज को सुनकर कनाडा सरकार ने भारत को परमाणु रिएक्टर बनाने में सहयोग दिया।इन दोनों देशो ने मिलकर एक योजना बनाइ। जिसे सायरस परियोजना कहते है। इस योजना को प्रोत्साहन मिला। सन 1960 में यह योजना पूर्ण हुई। तथा सन 1961 में 'जेरिलिना परियोजना' भी सफल हुई। इन रिएक्टरों के निर्माण से देश में atomic power से विद्युत् उत्पादन हुआ।होमी जहांगीर भाभा के प्रयत्नों से राजस्थान में राणाप्रताप सागर तथा तमिलनाडु में कल्पकम नामक स्थान में भी परमाणु ऊर्जा संयत्र स्थापित किये गये। उन्‍होंने इन संयंत्रों के लिए मंहगे यूरेनियम की तुलना में देश में उपलब्‍ध थोरियम पर कार्य किया। होमी जहागीर भाभा की योजना से बंगलुरू के पास भूगर्भीय विस्फोटों तथा भूकंपो के प्रभावों का अध्यनन करने के लिए एक केन्द्र स्थापित किया गया। होमी जहागिर भाभा की 24 जनवरी 1966 को विमान हादसे में म्रत्यु हो गई। आप comment के माध्यम से हमे जानकारी भेज सकते है या कोई अन्य प्रश्न पूछ सकते है।