माईकेल फैराडे। जन्म हुआ था 22 सितंबर 1791 को इंग्लैण्ड में। आज पूरी दुनिया में व्यापक पैमाने पर जहां भी बिजली बनायी जाती है उसके पीछे एक ही सिद्वान्त काम करता है। जिसका नाम है विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) का सिद्धान्त। इस सिद्धान्त के अनुसार चुम्बक का इस्तेमाल करते हुए बिजल
ी का उत्पादन होता है। इस सिद्धान्त की खोज का श्रेय फैराडे को ही जाता है। बरसों पहले यह ज्ञात हुआ था कि यदि किसी तार को लपेटकर कुंडली बनाई जाये और उस कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाये तो कुंडली चुम्बक बन जाती है। इसे देखकर फैराडे ने सोचा कि अगर बिजली से चुम्बक बन सकता है तो चुम्बक से बिजली क्यों नहीं बन सकती। उसके लिए उसने एक प्रयोग किया जिसमें तार की एक कुंडली (Coil) बनाकर चुम्बक के पास रखी गई। लेकिन उसे कुंडली में कोई बिजली बनती हुई नहीं दिखाई दी। उसने कई बार अपने प्रयोग को दोहराया किन्तु उसे हर बार नाकामी हुई। तंग आकर एक दिन उसने कुंडली को फेंकने के लिए चुंबक के पास से खींचा और उसी समय धारामापी ने विद्युत बनते हुए दिखा दिया। उस समय फैराडे को यह ज्ञात हुआ कि यदि कुंडली तथा चुंबक के बीच में आपेक्षिक गति होती है तभी उससे बिजली पैदा होती है। इसी को चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धान्त कहते हैं। आज पूरे विश्व में इसी तरीके से बिजली का उत्पादन होता है। रसायन विज्ञान में फैराडे ने बेंजीन (Benzene) की खोज की, जिसका आज व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल होता है। साथ ही उसने आक्सीकरण संख्या (Oxidation Number) का कान्सेप्ट दिया जिसका इस्तेमाल रासायनिक समीकरणों को बैलेंस करने में होता है। फैराडे ने विद्युत अपघटन में काफी कार्य किया। चीज़ों का विद्युत अपघटन करने में कितना मैटर प्राप्त होगा इसके लिए उसने एक फार्मूला दिया जिसका एक पद फैराडे नियतांक कहलाता है। कोलाइडी कणों के बारे में उसकी कुछ खोजें आज की नैनो तकनीक का आधार हैं। चुम्बकीय प्रेरण पर कार्य करते हुए फैराडे ने एक और खोज की कि यदि दो कुंडलियों को पास में रखते हुए एक में ए-सी- विद्युत प्रवाहित की जाये तो दूसरे में स्वयं ए.सी. विद्युत बनने लगती है। ट्रांसफार्मर इसी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं। उसके समय में यह माना जाता था कि अलग अलग स्रोतों से प्राप्त विद्युत अलग अलग होती है। यानि बैटरी से प्राप्त विद्युत, बादलों की बिजली और जंतुओं में पायी जाने वाली बिजली एक दूसरे से अलग होती है। लेकिन फैराडे ने निष्कर्ष निकाला कि सभी स्रोतों से प्राप्त विद्युत की प्रकृति एक ही होती है। फर्क होता है तो केवल तीव्रता का। उसने यह भी ज्ञात किया कि प्रकाश पर चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव होता है। जिसका बाद में जीमान ने व्यापक अययन किया। आधुनिक विज्ञान में यह खोज जीमान प्रभाव (Zeeman Effect) नाम से जानी जाती है।उनकी मृत्यु 25 अगस्त 1867में हुईMonday, 1 February 2016
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