आपका जन्म लगभग 287 ई.पू.
सिराक्यूज़, सिसली
मैग्ना ग्रीसिया में हुआ।आपने क्षेत्र गणित, भौतिकी, अभियांत्रिकी, खगोलशास्त्र का अध्ययन किया। आपके आविष्कार तथा कार्य आर्किमिडिज़ सिद्धांत, आर्किमिडिज़ पेच, द्रव्य स्थिति-विज्ञान, लीवर, अतिसूक्ष्म राशियाँ आदि है।आप प्राचीन यूनान में रहने वाले गणितज्ञ, भौतिकज्ञ, इंजीनियर, आविष्कारक और खगोलशास्त्री थे। आपको पाश्चात्य सभ्यता के महानतम वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है। भौतिकी को इन्होंने स्थिति-विज्ञान, द्रव्य स्थिति-विज्ञान और लीवर के सिद्धान्त प्रदान किए। इन्होंने कई नई मशीनें भी ईजाद कीं, जिनमें शामिल हैं घेराबंदी तोड़ने के लिए यंत्र और आर्किमिडिज़ पेच। इसके अलावा इन्होंने ऐसी मशीनों की परिकल्पना की जो पानी से जहाजों को उठा सकती थीं और दर्पणों के प्रयोग से नावों पर आग लगा सकती थीं; आधुनिक प्रयोगों से इन मशीनों की वास्तविकता सामने आई है। आर्किमिडिज़ को प्राचीन संसार का महानतम गणितज्ञ माना जाता है और आजतक के महानतम गणितज्ञों में गिना जाता है।इन्होंने शून्यीकरण विधि का प्रयोग करके परवलय की चाप के नीचे का क्षेत्रफल निकाला और पाइ का अत्यंत सटीक परिमाण निकाला। इन्होंने आर्किमिडिज़ कुण्डली, परिक्रमण की सतह का घनफल और बहुत बड़ी संख्याओं को लिखने के नए तरीके निकाले। इनके बारे में प्रसिद्ध है कि स्नान करते हुए इन्हें अकस्माक विचार आया कि सोने में मिलावट कैसे पकड़ी जाए और ये नग्न ही "यूरेका! यूरेका!" "मिल गया! मिल गया!" चिल्लाते हुए सिराक्यूज़ की सड़कों पर दौड़ने लगे। इनका यह भी कथन प्रसिद्ध है, "मुझे यदि खड़े होने की जगह मिल जाए तो मैं (लीवर की मदद से) पृथ्वी को हिला सकता हूँ। सिराक्यूज़ की घेराबंदी में एक रोमन सैनिक ने आर्किमिडिज़ को मार डाला, जबकि सेना को आदेश थे कि इन्हें कोई क्षति नहीं पहुँचनी चाहिए। कहा जाता है कि इनके अंतिम शब्द थे, "मेरे वृत्तों को खराब मत करो", जो इन्होंने उस रोमन सैनिक को कहे।सिसरो ने इनके मकबरे का वर्णन करते हुए बताया है कि उसपर एक वेलनाकार और उसके मध्य में समानाकार गेंद बने हुए थे। आर्किमिडीज़ ने प्रमाणित किया था कि गेंद का क्षेत्रफल और घनफल वेलनाकार का दो-तिहाई होता है और ये इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते थे।
इनके आविष्कार तो बहुत प्रसिद्ध हुए, लेकिन इनके गणितीय रचनाओं को प्राचीन काल में अधिक महत्त्व नहीं मिला। अलेक्सेंड्रिया के गणितज्ञ इन्हें पढ़ते और उद्धृत भी करते थे, लेकिन इनकी कृतियों को सबसे पहले 530 ईस्वी के लगभग ही एकत्रित किया जा सका। यह काम मिलेटस के इसीडोर ने किया और फिर छठी शताब्दी ईस्वी में ही यूटोसियस की टीकाओं के माध्यम से सारा संसार आर्किमिडिज़ की कृतियों से अवगत हुआ। इनकी कृतियों की कुछ पाण्डुलिपियाँ मध्ययुग तक बची रहीं और पुनर्जागरण के दौरान कई वैज्ञानिकों और दार्शनिकों की प्रेरणा का स्रोत बनीं।1906 में आर्किमिडिज़ पालिम्पसेस्ट के नाम से मिली अन्य कृतियों से पता लगा कि इन्होंने गणितीय फार्मूले कैसे निकाले।आपकी मृत्यु 212 ई.पु. हुई थी
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